काव्य–सौंदर्य स्पष्ट कीजिए–
हरि आप हरो जन री भीर।
द्रोपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर।
भगत कारण रुप नरहरि, धर्यो आप सरीर।
इस पद में मीरा ने कृष्ण के भक्तों पर कृपा दृष्टि रखने वाले रुप का वर्णन किया है। वे कहती हैं – “हे हरि ! जिस प्रकार आपने अपने भक्तजनों की पीड़ा हरी है, मेरी भी पीड़ा उसी प्रकार दूर करो। जिस प्रकार द्रोपदी का चीर बढ़ाकर, प्रह्लाद के लिए नरसिंह रुप धारण कर आपने रक्षा की, उसी प्रकार मेरी भी रक्षा करो।” इसकी भाषा ब्रज मिश्रित राजस्थानी है। ‘र’ ध्वनि का बारबार प्रयोग हुआ है तथा ‘हरि’ शब्द में श्लेष अलंकार है।
1. निमिन्लिखित लोकोकितयो के सही अर्थ का चयन कीजिए l आगे कुआँ पीछे खाई
4. Question 4:क्या तुमने कभी मछली पकड़ी है? अपने अनुभव साथियों के साथ बाँटो।
5. Question 9:बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में कौन-कौन सी बीमारियों के फैलने की आशंका रहती है?
6. Question 7:निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए −पतंगा अपने क्षोभ को किस प्रकार व्यक्त कर रहा है?
10. Question 1:कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर ‘गरजने’ के लिए कहता है, क्यों?