भाव स्पष्ट कीजिए −
रहो न भूल के कभी मदांध तुच्छ वित्त में,
सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त में।
अनाथ कौन है यहाँ? त्रिलोकनाथ साथ हैं,
दयालु दीनबंधु के बड़े विशाल हाथ हैं।
कवि का कहना है कि मनुष्य को कभी भी धन पर घमंड नहीं करना चाहिए। कुछ लोग धन प्राप्त होने पर स्वयं को सुरक्षित व सनाथ समझने लगते हैं। परन्तु उन्हें सदा सोचना चाहिए कि इस दुनिया में कोई अनाथ नहीं है। सभी पर ईश्वर की कृपा दृष्टि है। ईश्वर सभी को समान भाव से देखता है। हमें उस पर भरोसा रखना चाहिए।
5. Question 3:नीचे दिए गए शब्दों में से मूल शब्द और प्रत्यय अलग करके लिखिए −शब्दमूल...
6. Question 13:अपनी देखी-सुनी किसी आपदा का वर्णन कीजिए।
8. Question 5:बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए क्या करते थे?
9. Question 6:मेघों के लिए ‘बन-ठन के, सँवर के’ आने की बात क्यों कही गई है?